Book Title: Jainagamo me Syadvada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana
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नागमों में न्याहाट
चटिए योगाहगट्टयाए चउट्टाणवडिए टिटा चउटागावटिए बागाह पज्ज वेहि उहागावटिा मीयफाय पज्जवहि तुल्ले अबसेसेहि गचाफामपन्जहि छहाग्गवडिग, एवं उक्कोसगणमीनेवि अजहन्नमणुककोसगणमीनेवि एवं चेव, नवरं गदाग लागवटिए, एवं उमिणनिद्धलक्खे जहाँ सीते परमागुपोग्गनग्म नहेव पडिबक्खो सब्वेसि न भरणइ
नि मागियच्वं ॥ मत्र १२०) लम् -- साम्प्रन मामान्यमूत्रमारभ्यते) जहन्नपए सियाणं
भने । ग्वधाण पुच्छा, गोयमा ! अणंता, से केण्टठेणं भने ! एवं यह १, गोयमा! जहन्नपएमिए खधे जहन्नपए मियरम खंधम्म दबट्ट्याए तुतले पएसटठया तुलो प्रागाहगटटयाए सिय हीणे सिय तुरते गिग अन्महिए जइ हीणे पाएमहोणे अह अमहिए पएमममहिए टिईए चउठाणबडिए वन्नगधरस- रिक्तचचउफामपन्जवाहे छट्ठाणघडिए उक्कोममिया भंते ! ख वाग्ग पुच्छा, गोयमा ! अणंता, कंगठेग भते ! एवं बुचड़ ?, गोयमा ! कोम परमिए खचे उक्कोमपएमियम खंथस्स

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