Book Title: Jainagamo me Syadvada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana
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जैनागों में स्याद्वाद जहन्नाभिणियोहियणाणी मणूसे जहन्नाभिणिबोहिया-: णाणिस्स मणुस्सस्स दव्यटठयाए तुल्ले पएसटठयाए तुल्ले ओगाहणटठयाए चउटठाणवडिए ठिईए चउट्ठाण वडिए वन्नगंधरसफासपज्जवेहि छटाणवडिए आभिणिवोहियनाणपज्जवेहिं तुल्ले सुयनाणपज्जवेहिं दोहिं दंसणेहिं छट्ठाण वडिए, एवं उक्कोसाभिणिवोहियनाणीवि नवरं आभिणिवोहियनाणपज्जवेहिं तुल्ले ठिईए तिहाणवडिए तिहिं नाणेहिं तिहिं दंसणेहि छहाणवडिए , अजहन्नमणुकोसामिणिबोहियनाणी जहा उक्कोसाभिणिवोहियनाणी, नवरं ठिईए चउट्ठाणवडिए सहाणे छट्टाणवडिए, एव सुयनाणीवि, जहन्नोहिनाणीणं भते ! मणुस्माणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा! अणंता पज्जवा पन्नचा, से केणटटेणं भंते ! एवं बुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नोहि. नाणी मगुस्से जहन्नोहिनाणिम्स मरणमस्स दव्वटठयाए तुल्ल पएमट्ट्याए तुल्ले योगाहणट्ठयाए तिहारणवडिए ठिईए तिहारगवडिए बन्नगंधरसफासपउजवेहिं दोहिं नाणंहिं छट्टाणवडिए मोहिनाणपज्जवेहिं तुल्ले मग्णनाणपज्जवेहि छटाणवडिए तिहिं दमरोहिं छटाणवडिए, एवं उकोमाहिनाणावि, अजहन्न

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