Book Title: Jainagamo me Syadvada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana

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Page 244
________________ २१८ जैनागमो मे स्याद्वाद दुपएस मन्महिए वा, एवं जाव दसपएसिए, नवरं अोगाहणाए पएमपरिवुड्ढी कायव्वा जाव दसपएमिए, णवरं नवपएसहीणत्ति, संखेज्जपएसियार्ण पुच्छा, गोयमा ! अता पज्जया पन्नत्ता, से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चइ-गोयमा ! संखेज्जपएसिए संखेज्जपएसियस दव्वठ्ठयाए तुल्ले पए सट्टयाए सिय हीणे गिय तुल्ले सिय अन्महिए, जइ हीणे सखेज्जभागहीणे वा संखिज्जगुण हीणे वा अह अब्भहिए एवं चेव ओगाहणयाए वि दुट्ठाणवडिए ठिईए चट्टाणबडिए वरणाड उवरिल्लचउफासपज्जवेहि य छठाण वडिए, असखिज्जपएसियाण पुच्छा गोयमा ! अणता पज्जवा पन्नत्ता, से केणटठेणं भंते ! एवं बुच्चड-गोयमा । असंखिज्जपएसिए खंधे असंखिज्जपएमियम्स खंधम्म दवट्टयाए तुल्ले पएसहयोए चउट्राणवडिए प्रोगाहणयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउहाण वडिए वरणाइउवरिल्ल चउफासेहि य छटाणवडिए, अणंतपएमियाणं पुच्छा गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नगा, से केणटटेणं भंते ! एवं बुच्चइ ?, गायमा ! अगतपएमिए खंधे अणंतपए मियस्स खध

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