Book Title: Jainacharya Pratibodhit Gotra evam Jatiyan
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Jinharisagarsuri Gyan Bhandar

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Page 25
________________ सवा लाख खरतर । जं०. यु० भ० जगगुरु पूज्य श्री पूज्य गुरु श्री जिनदतसूरिजी कीधा अनें अक लाख घर खरतर जं० यु० भ० पूज्य श्री पूज्य गुरु श्री जिनवल्लभसूरिजी ये गुरें कीधा । इस गुरु चेलां री आसति ॥ वली पूर्वी भ । श्री घणा पूज्य गुर श्रावक कीधा ते पार नथी, लिख्या जायै नथी ॥ तेइम ३६ सर्वे राजकुली अनेरी लहुडी राजकुली ना गुर खरतर छै । जगगुरु पूज्य प्रथम वृद्ध गच्छ छै । तेथी सर्वे श्रावक प्रथम थी खरतर छै। राजकुली थी प्राये सर्वे हुया छ । हिवणां विख्यात राठोड़ १ कछवाहा २ सीलोद्या ३ सोलंकी ४ वली जादव वंश भाटी ५ अनेरी राजकुली इत्यादिकना कुलगुर विख्यात । ए च्यार पांच वंस ना खर. तर परम्परा कुलगुरु । ए वार्ता अति प्रसिद्ध विख्यात छै॥ १३ श्रीमाल गौत्रसीधडा १ भागड़ा २ भादवीया ३ महेसवाल ४ मोठीया ५ मरदोला ६ महत्रुल ७ गलकट ८ बांहकट ९ कोद १० टाक ११ बहरा १२ मालवी १३ पल्हवड़ १४ हिडूया १५ सांभूया १६ मन्दोड़ १७ पूरवीया १८ दुसाझ १६ काठ २० चीतालिया २१ काला २२ वरहट्ट २३ ववरंग २४ मैसिबाल २५ मेहरा २६ धांधीया २७ दरडा २८ ढोर २९ वडीया ३० तुरकीय ३१ जूडगोत्र ३२ पापड़ ३३ .........३४ नाचण ३५ फाफू ३६ जूनीवाल ३७ घूबड़ ३८ खोसडीया ३९ खोवाड़ा ४० संगरिया ४१ झाड़चूर ४२ गभाणीया ४३ डोड़ा ४४ जाट ४५ पेटवाड़िया ४६ घेवरीया ४७ खारवाड़ ४८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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