Book Title: Jainacharya Pratibodhit Gotra evam Jatiyan
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Jinharisagarsuri Gyan Bhandar

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Page 33
________________ पटावली री परम्परा माहे कोचर थयो तिणे कोचर कोरटै गाम माहे देहरौ करायौ अनै संखवाली गाम मांहे श्री आदीसरजी रो देहरौ करायौ कोचर भार्या कल्याणदे तणे आपरै धणी न खरतर कीधो । इनैश्री जिनेसरसूरि पासे देहरै री प्रतिष्ठा करावी तिवारै खरतर थयो स० १३१३ वरषे कोचर साह खरतर थयो । कोचर पुत्र ५ तण मधे लघु पुत्र रोलू भेलो हुतो तिण रोलू रा केड़ाइत खरतर । १ कानड़दे पुत्र लखमसी , १३ केल्हा पुत्र धन्नां २ लखमसीपुत्र सचीदास १४ धनापुत्र जसा ३ सचीदासपुत्र नरसंघ १५ जसापुत्र राइमल ४ नरसंघ्रपुत्र धना . १६ राइमल पुत्र केसव ५ धनापुत्र धनपाल १७ केसवपुत्र सिखरा ६ धनपालपुत्र राजसी १८ सिखरापुत्र नथमल ७ राजसीपुत्र अम्बवीर १९ नथमलपुत्र संघजी ८ अम्बवीरपुत्र कोचर २० संघजीपुत्र मलुकचन्द ९ कोचरपुत्र रोलु २१ मलुकचन्दपुत्र पेमजी १० रोलूपुत्र मूलू २२ पेमजी पुत्र ४ जेतसी, ११ मूलू पुत्र दीपमल नेतसी, हेमसी, भीमसी १२ दीपमलपुत्र केल्हा २३ जेतसीपुत्र जेसरूप २४ जेसरूप पुत्र धनरूप, अमरचन्द स० १७२३ मार्गशीर्ष शु० १ शनि सा० संघजी पुत्र जन्म मूलनक्षत्रे स. १७४९ माह कृ० ३ शनि सा० संघजी पुत्र मलुकचन्द गृहे पुत्रजन्म (प्रेमजी) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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