Book Title: Jainacharya Pratibodhit Gotra evam Jatiyan
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Jinharisagarsuri Gyan Bhandar

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Page 35
________________ गोत्र हुवौ, तिवारै पछै श्रीधर रै ५ पाँच पुत्र हुवा खीमसी १ भीमसी २ जगसी ३ रूपसी ४ देवसी ५ तिणमैं खीमसीरी पीढी चाली बाकीरांरी पीढी आगे न चाली इण वास्तै खीमसी पुत्र कुलचंद ३ तत्पुत्र देव ४ तत्पुत्र धनपाल ५ तत्पुत्र साधारण ६, तत्पुत्र पुण्यपाल ७, तत्पुत्र सजू ८ तत्पुत्र देदू ६, तत्पुत्र गजमाल १० तत्पुत्र जयतौ ११, तत्पुत्र खेतसी १२, तत्पुत्र वस्तौ १३, तत्पुत्र पुंजी १४, तत्पुत्र आसकरण १५, तत्पुत्र यशोधवल १६, तत्पुत्र पुण्यसी १७, तत्पुत्र श्रीमल्ल १८, तत्पुत्र थाहरू १६. तिवारे थाहरू लोद्रवे जी रा देहरा पया देखनै जीर्णोद्धार करायौ श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जी री मूरति युगल देह थापी श्री जिनराजसूरिजी प्रतिष्ठा करी, घणा पुस्तक लिखाया, श्री सिद्धाचलजी संघ काढ्यो, इण भांत धर्मरी घणी उन्नति करी, थाहरुसा पुत्र २ मेघराज १ हरराज २ पुत्र मूलचन्द, तत्पुत्र लालचंद, तत्पुत्र हरकिशन, तत्पुत्र जेठमल, १ लघुपुत्र जसरुप २ जेठमल पुत्र २ गोडीदास १ जीवराज २ गोड़ीदास पुत्र ऋषभदास इति थाहरु वंशावली । ( जैन लेखसंग्रह भा० ३ जैसलमेर पृ० २८ से) (७) श्रीमालवंशीय खरतर गोत्र नामावली एतला गोत्र श्रीमालना वड़ा खरतर जाणिवा १ नागड़ ६ सिंधुड़ २ पापड़ (भण्डारी भेद) ७ घबरिया ३ फोफलिया केपि ८ सड़िया ४ बुहरा केपि ९ सागियाण ५ खारड़ १० गलकटा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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