Book Title: Jainacharya Pratibodhit Gotra evam Jatiyan
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Jinharisagarsuri Gyan Bhandar

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Page 38
________________ लठाहले ७२ टीटउलिए ७७ चीचड ८२ कुकडकिए ७३ डाहरिए ७८ मूसल ८३ फुसखाणे ७४ पल्हउड ७९ भइरवउज जूनीबाल ७५ वांके महिम महिछइ टाक ७६ धर्मघोष ८१ विसनालिए ८४ बडे स्वरतर गछ के सर्षमहितियाण ओसवालगोत्र ४८ योघरा १ बहुरे १४ तिल्हरा २७ संखवाल २ भणसाली १५ वलाही पारिख डागा १६ फोफलिया २९ चोपडा भूरा फसलाजालउरे तातहड़ १८ मंत्री . ३० सेठिया चम्म १९ . भडारी गदहिया ७ नवलखा सांऊसखा ८ ल्लिगा २१ कोठारी गोलवछा ९ रीहड २२ . कुहाड धाडीवाहा १० बापणा लाढे नाहटा ११ . खुछडा नखत लूणिया. १२ भूगकी टाटिया गणधर १३ माल्ह २६ घीया कटारीया छाजड पीपाडा श्री वर्द्धमानसूरिजी सम्वत् १०७३ में सूरि महाराजने पीपाड नगर के स्वामी गहलोत क्षत्रिय कर्मचन्द्रको धर्मोपदेश द्वारा प्रतिबोध देकर जैन श्रावक बनाया उससे गोत्र पीपाडा निकला। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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