Book Title: Jainacharya Pratibodhit Gotra evam Jatiyan
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Jinharisagarsuri Gyan Bhandar
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......घर २० करनाल का वासी गोत कपाणी ॥१३॥
खत्री मोहनदास घर २०, गोत मू......॥१४।। .......वनपाल परिवार घर १०, गोत सोनी थाप्यो ॥१५।। वासी सोवनपथ का। एवं सव गोत चौ० ८४ छइ । प्रतिबोधी जइनी कीया । सं० १३७६* कइ वर्ष मइ । - इनमें ८४ गोत्रों में से २४ के नाम हमने प्रतिमा लेख बादि के आधार से मणिधारी श्री जिनचंद्रसूरि ग्रन्थ में प्रकाशित किए हैं। . * यह समय कलिकाल केवली श्रीजिनचंद्रसूरि के समय का हैं जो जिनकुशलसूरि के गुरु थे। नाम साम्य के कारण ऐसा हुआ लगता है। पर प्राचीन शिलालेस्वादि में मणिधारी जिनचंद्रसूरि का नाम स्पष्ट है ।
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