Book Title: Jainacharya Pratibodhit Gotra evam Jatiyan
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Jinharisagarsuri Gyan Bhandar

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ परिशिष्ट - १ महत्तियाण जाति के गोत्रों सम्बन्धी विशेष विवरण श्री जिनचन्द्रसूरि जिणुन सवा पांचसह ५२५ घर क्षत्री प्रतिबोधी नइ जैनी श्रावक कीया। वासी पंचाब देश का प्रतिबोध्या, महम सहर मइ । कुरक्षेत्र का राजा मलसिंघ राजा मेघमल्ल तणो चंपकसेन | तिसका वजीर प्रधान था । महता मयाचंद १ महता चतुरभुज २ पचाधा खत्री था । जोही गोत्र खत्रीका था । सोइ इणुका थाप्या चोपड़ा गोत्री दोड़ सह घर का सीरदार था दोनुं भाई । श्रावक जाति महतीयाण थापना करी ॥ १ ॥ महता सुन्दरदास १ महता स्यामदास २ महता संकदास ३ महता सोनी ४ ए च्यारुं राजा प्रधान का मोदी था क्षत्री । वासी साहरणपुर का घर में नागदेवता की पूजा थी । सौ घर का सिरदार था च्यारु भाई । प्रतबोधीनइ श्रावक कीधा । जाति महतीयाण, गोत्र सपेला थाप्यो || २ || महता प्रधान मयाचंद चतुरभुजनइ काल मई गुलाम लीया, मोल च्चार - जइराम १ जदु २ जाटु ३ जेठा ४ जाति का जाट थे । वासी जैसलमेर का चौधरी था जाट | तिसका बेटा है च्यारुं । तिस च्यारुं का परिवार वीस घर था । तिणुकुं प्रातिबोधी जेनी श्रावक कीया । जाति महत्तले थापना जाटड़ा गोत्र थापना कीयो ॥ ३ ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74