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(४२) तामसिक प्रकृति की वृद्धि करनेवाले होते हैं। संक्षेप में वे तामसिक व राजसिक प्रकृत्ति के पोषक होने से धर्माचार्योंने उस का निषेध किया है।
आलू यह चरवी को बढानेवाला है ऐसा अभिप्राय एक अमेरिकन ने हाल में ही दिया है और वह अभिप्राय अमेरीका में प्रकाशित "फीझीकल कल्चर" नामक ईंग्लीश मासिक में ( जिस की एक लक्ष प्रतियाँ निकलती हैं ) आया है जिस का अवतरण हम यहाँ देते हैं।
Mr. L. M. Hainer writes in Physical Culture " February 1928":--" In my case I discovered that by eluminating from my Meals white bread and potatoes, I could take off the excess fat which was slowing me up "
फीझीकल कल्वर में मी. एल. एम. हेनर १९२८ के. फेब्रवारी के अंक में लिखते हैं कि खोराक में से मैंदे की रोटी
और आलू को छोड देने से मैं अपनी ज्यादह चरबी को कम कर सका हूँ जिस से मैं परेशान था और जो मेरे प्रत्येक कार्य में आलस्य को लाती थी।
(४) जैनशास्त्र कहता है कि पुरुप के एक दफा के स्त्रीसंभोग से नव-लक्ष जीवों का नाश होता है। . इस के समर्थन में वार्त्तमानिक विज्ञानशास्त्र क्या कहता