________________
(७९) संसार कभी खाली न होगा, और न भव्य जीवों का अभाव होगा और मुक्ति कभी पूर्ण भी नहीं होगी।
और भी जैसे कोई अलौकिक बुद्धिवाला मनुष्य जन्म से . मृत्यु पर्यन्त तीन लोक के ( स्वर्ग, मृत्यु, पाताल ) सर्व शास्त्रों का, हिन्दुओं के षदर्शनों का और यवनशास्त्रों का भी आत्मशक्ति से सेवन करता हुआ असंख्य वर्षीय आयुष्य का पालन करें तथापि शाश्वत पाठ से उस का हृदय कभी शास्त्राक्षरों से पूर्ण नहीं होगा और शास्त्राक्षर भी कम नहीं होंगे और शास्त्र खाली भी नहीं होंगे । इसी तरह संसार से भले कितनेही भव्य मोक्ष में चले जाय तथापि मुक्ति परिपूर्ण नहीं होगी, भव्यों का प्रभाव नहीं होगा और संसार रीता भी नहीं होगा। इस से स्पष्ट समजना कि मोक्षमार्ग सदैव विना अंतराय क बहता रहेगा और संसार भी कभी भव्यशून्य नहीं होगा। . : .