________________
( 66 )
प्र० निष्क्रिय सिद्धो में ज्ञान से और दर्शन से होनेवाली क्रियाओं क्या सिद्धों को नहीं होती ?
उ० ज्ञान और दर्शन से होनेवाली क्रियाओं सिद्धत्व को प्राप्त सिद्ध में नहीं होता । अगर प्रश्न किया जाय कि यह कैसे समजना तो उस का प्रत्युत्तर यह है कि सिद्धत्व प्राप्त वे सिद्ध जब उस संसार में मुक्तदशा में थे तब उन को कैवल्य की प्राप्ति हुई थी अर्थात् केवलज्ञान और केवलदर्शन हो गया था और तब ही ज्ञान और दर्शन से होनेवाली क्रियायें एकीसाथ में हो गई थी । देखने योग्य और ज्ञात करने योग्य भूत-भविष्य और वर्तमान के सब भाव प्रगट हो चूके थे । उनको न तो नया देखने का था न ज्ञात करनेका । अर्थात् मुक्त जीव-भ्रम रहित जीव मनुष्यभव में सक्रिय होते हैं और सिद्धदशा में निष्क्रिय होते हैं। इस तरह सिद्धों में निश्चय से निष्क्रयता समजनी । और यह सब का हेतु मनो - निरोध योग है इस लिए उसी मार्ग में रमण करना यह श्रेय के वास्ते है ।
"