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( ५८ ) प्र-जीव और कर्म ये दोनों कुछ भी नहीं है. ऐसा माना
जाय तो क्या कुछ आपत्ति है ? ..
उ-नहीं, ऐसा मानना भी ठीक नहीं है। क्यों कि अगर जीव
नहीं है तो इन दोनों की नास्तिता का ज्ञान किस को हुआ?
सारांश-इस पर से हम देख सकते हैं कि आत्मा और कर्म का सम्बन्ध अनादि समय से है। और यह मानना ही युक्ति संगत है।
" अज्ञान तिमिर भास्कर."
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