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श्री सेठिया जैन प्रन्धमाला
शङ्का-क्या देवता मनुष्यलोक में बिल्कुल नहीं आते १
उत्तर- तीर्थक्कर के जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान, निर्वाण के अवसर , पर अपना कर्तव्य पालन करने के लिए देव मनुष्यलोक में आते । हैं। उनमें से कुछ इन्द्र आदि तो भक्ति पूर्वक आते हैं। कुछ उनकी देखा देखी चले आते हैं । कुछ संशय दूर करने के लिए, कुछ पूर्वभव के मित्र आदि से अनुराग होने के कारण कुछ समयबन्ध अर्थात् पूर्वजन्म में किए हुए किसी संकेत के कारण, कुछ किसी तपस्वी या विद्वान साधु के गुणों से आकृष्ट होकर, कुछ पूर्वजन्म के शत्रु को पीड़ा देने के लिए, कुछ पूर्वजन्म के मित्र या पुत्रादि पर अनुग्रह करने के लिए और कोई कोई यों ही क्रीड़ा के लिए मनुष्यलोक में प्राजाते हैं।
भूत प्रेत आदि के द्वारा अधिष्ठित व्यक्ति में दिखाई देने वाली विचित्र क्रियाओं से भी देवयोनिविशेष का अनुमान किया जा सकता है। इसी तरह भूत द्वारा अधिष्ठित घरों में होने वाली अद्भुत घटनाओं से देवों का अस्तित्व सिद्ध होता है।
स्वर्ग तथा देवों का अस्तित्व न मानने से वेद में बताई गई अमिहोत्र आदि क्रियाएँ निष्फल हो जाएंगी।
इस प्रकार समझाया जाने हर मौर्य स्वामी का संशय दूर हो गया और वे भगवान् महावीर के शिष्य हो गए तथा सातवें गणघर बने। (E)अंकम्पित स्वामी-दर्शनों के लिए आए हुए भकम्पित स्वामी को देख कर भगवान ने कहा-हे अकम्पित ! तुम्हारे मन में संशय है कि नरक है या नहीं ? यह संशय तुम्हें वेद वाक्यों से हुआ है।
शङ्का-नारकी जीव नहीं है, क्योंकि प्रत्यक्ष से मालूम नहीं पड़ते। अनुमान से भी नहीं जाने जा सकते । संसार में देव, मनुष्य और तिर्यवतीनही प्रकार के प्राणी मालूम पड़ते हैं, चौथे नारकी दिखाई