Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 489
________________ श्री जन सिद्धान्त बोल संग्रह, चौण भाग (1) काम भोग तिन्वामिलासे-काम भोगों की तीव्र भमिलाषा करना। (5) पांचवा इच्छा परिमाण व्रत गार, मैंस,हाथी,घोड़ा आदि सवेतन और रत्न,सोना, चांदीतथा वस्त्र आदि अचेतन इन दोनों को मिलाकर 8 प्रकार के परिग्रह व्रत कहलाता है। प्रतिज्ञाः- मैं जंगम और स्थावर (सचेतन और अचेतन। नौ प्रकार के परिग्रह को मिलाकर कुल रूपये ...... से अधिक अथवा......संख्या से अधिक परिग्रह रखने का यावज्जीवन एक करण तीन योग से त्याग करता हूं। / / ____ यदि किसी को अलग अलगमर्यादा रखनी होतो इसप्रकार से रखे : (1 क्षेत्र (खेत ...... चीचे ...... जमीन या खुली (2) वास्तु-घर, गोदाम, दुकान आदि की संख्या .... / (3) हिरण्य-...... तोले चांदी और चांदी की घड़ी हुई वस्तुए। * (4) सुवर्ण-...... तोला सोना और सोने की घड़ी हुई वस्तुएं। (5) द्विपद-दास दासी आदि ......... (संख्या नियत करना)।

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