________________
२६४
नाम
( ५ ) शान्तिनाथ
(६) कुन्थुनाथ
(७) अरनाथ
(८) सुभूम
(8) महापद्म
(१०) हरिषेण
श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
स्थिति
१ लाख वर्ष
६५ हजार वर्ष
८४
99 27
६० " "
३० १ १
१०,, "
e
(११) जय (१२) ब्रह्मदत्त
'अवगाहना
४० धनुष
३५ "
३० "
२८ "
२० ”
१५
2 #1 11
१२ "
७
"
७०० वर्ष (हरिभद्रीयावश्यक प्रथम विभाग गाथा ३६२-६३) (त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र ) चक्रवर्तियों के खीरत्नों के नाम - (१) सुभद्रा (२) भद्रा (३) सुनन्दा (४) जया (५) विजया (६) कृष्णश्री (७) सूर्यश्री (८) पद्मश्री (१) वसुन्धरा (१०) देवी (११) लक्ष्मीमती (१२) कुरुमती । (समवायाग १५८) चक्रवर्तियों की सन्तान - चक्रवर्ती अपना वैक्रय रूप छोड़ कर जब सम्भोग करता है तो उसके सन्तान होती है या नहीं ? इसका उत्तर यह है कि चक्रवर्ती के वैक्रिय शरीर से तो सन्तानोत्यत्ति नहीं हो सकती है किन्तु केवल चौदारिक शरीर से हो सकती है । वैक्रिय शरीर द्वारा बनाये गये रूप तो पुनः श्रदारिक शरीर में ही प्रवेश कर जाते हैं इसलिए वे गर्भाधान के कारण नहीं हो सकते, ऐसा पनवा सूत्र' की वृत्ति में कहा गया है।
ये चक्रवर्ती सर्वोत्कृष्ट शब्द रूप रस गन्ध स्पर्श रूप कामभोगों का भोग करतें हैं । जो इन को छोड़ कर दीक्षा अङ्गीकार कर लेते हैं वे मोक्ष में अथवा ऊँचे देवलोकों में जाते हैं। जो इन काम भोगों को नहीं छोड़ते हैं और इन्हीं में गृद्ध बने रहते हैं वे सैकड़ों वर्षों
>>
·