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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
उत्तर - सिद्धभगवान को, क्योंकि उनके विकार और परनिमित्त का सम्बन्ध सर्वथा छूट गया है।
प्रश्न 20 - आकार में (व्यञ्जनपर्याय में) अन्तर होने पर भी अर्थपर्याय में समानता हो - ऐसे द्रव्य कौन से और कितने हैं ?
उत्तर - ऐसे सिद्ध भगवान हैं और वे अनन्त हैं।
प्रश्न 21- त्रिकाल स्वभावअर्थपर्याय और स्वभावव्यञ्जन पर्याय किन द्रव्यों के होती है?
उत्तर - धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाश और काल - इन चार द्रव्यों के होती है।
प्रश्न 22 - पहिले अर्थपर्याय शुद्ध हो और फिर व्यञ्जनपर्याय शुद्ध है - ऐसा किन द्रव्यों में होता हैं ?
उत्तर - ऐसा जीवद्रव्य में होता है, जैसे कि - चौथे गुणस्थान में श्रद्धा गुण की पर्याय पहले शुद्ध होती है; बारहवें गुणस्थान में चारित्र गुण की अर्थपर्याय शुद्ध होती है; तेरहवें गुणस्थान में ज्ञान दर्शन, सुख और वीर्य गुणों की पर्यायें परिपूर्ण शुद्ध होती हैं; चौदहवें गुणस्थान में योग, गुण की पर्याय शुद्ध होती है, और सिद्धदशा होने पर वैभाविक गण, क्रियावतीशक्ति तथा चार प्रतिजीवी गुणअव्याबाध, अवगाहनत्व, अगुरुलघुत्व, सूक्ष्मत्व इत्यादि की अर्थपर्यायें शुद्ध होती हैं; और उसी समय व्यञ्जनपर्याय (प्रदेशत्व गुण की पर्याय) शुद्ध होती हैं, किन्तु वह पहिले शुद्ध नहीं होती।
प्रश्न 23 - सादि-सान्त स्वभावअर्थपर्याय और स्वभाव - व्यञ्जनपर्याय किस द्रव्य के एक साथ होती है ?
उत्तर - एक पुद्गल परमाणु के दोनों एक साथ होती हैं। जब