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प्रकरण तीसरा
उत्तर - वे अस्तित्वादि गुण युक्त तथा उत्पाद-व्यय-ध्रौव्यरूप सत् लक्षणवान होने से उन्हें किसी के आधार की आवश्यकता नहीं है। स्व सत्ता के आधार से उनके निरन्तर क्रमबद्ध उत्पादव्ययरूप व्यवस्थित पर्याय होती ही रहती है।
प्रश्न 36 - क्षेत्र और काल की अपेक्षा से द्रव्य-गुण-पर्याय की तुलना करो?
उत्तर - (1) तीनों का क्षेत्र समान अर्थात् एक ही है।
(2) काल की अपेक्षा से द्रव्य-गुण त्रिकाल और पर्याय एक समय जितनी है।
प्रश्न 37 - द्रव्य-गुण-पर्याय- इन तीनों में से ज्ञात होने योग्य (प्रमेय) कौन-कौन हैं?
उत्तर - तीनों ज्ञात होने योग्य (प्रमेय-ज्ञेय) हैं।
प्रश्न 38 - द्रव्य की भूतकाल की पर्यायों की संख्या अधिक है या आगामी [भविष्य] काल की पर्यायों की?
उत्तर - द्रव्य की पर्यायों में अतीत [भूतकालीन] पर्यायें अनन्त हैं; अनागत [भविष्यकालीन] पर्यायें उनसे भी अनन्त गुनी हैं; और वर्तमान पर्याय एक ही है। सर्व द्रव्यों के अनन्त समयरूप भूतकाल तथा उससे अनन्तगुणे समयरूप भविष्यकाल है।
(स्वमी कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गाथा 221 मूल तथा गाथा 302 का भावार्थ) प्रश्न 39 - छहों द्रव्यों में द्रव्य-गुण-पर्याय जानने का क्या फल है?
उत्तर - स्व-पर का भेदज्ञान और परपदार्थों की कर्तृत्वबुद्धि का अभाव होता है - वह जानने का फल है।