Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara
View full book text
________________
श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrab
Closing I - - पश्चात् चतुर्विशति जिनमातृकास्थापनम् । Colophon: मिति भाद्रवा कृष्णपक्षे तिथौ च आज १३ तेरस शनि
चरवासरे सवत् १२६२ का । शाके १७५७ का प्रवर्त्तमाने लिप्यकृत मथेन राधा की सनवासरूपनगममध्ये पोथी लिखी । श्रीरस्तु मगल क्रियात् । श्री गुरुभ्यो नमः ॥ पोथी चोइम महाराज की पूजा सपूर्ण समाप्ता।
देखे-Catg. of Skt. & Pkt. MS , P 640.
८२१. चतुर्विशति जिन पूजा
Opening ।
Closing: Colophons
देखे, ऋ० ८१९ । देखें, ऋ० ८१६॥
इति श्री चतुर्विशतिजिनपूजा सम्पूर्णम् ।
८२२. चौबीसी पूजा
Opening : अलख लखत सब जगत के, रखवारे ऋषिनाथ ।
नाभिनद पदपन छवि, तिनहिं नवाऊँ माथ ।। Closing: • :- भव रूज में ठन वैद्यराज शिवतिय के भर्ती,
तिनचरण त्रिकाल त्रिशुद्ध है, नमिनमिनित आनद धरत ।
जिन वर्तमान, पूजन शुभगमनरग संपूरन करत ॥ - Colophon: सवत् विक्रम द्विक सहस, तामे अडतीस ऊन ।
पांच कृष्ण वैशाख की, चद्रवार रिषम्लून ॥१॥ . नगर सहारनपुर विर्ष, सीताराम लिखत ।
भविजन वाचे भावसो, पाठक पाठ,पढंत ॥२॥ सवत् १९६२ शक १८२७ वैशाख कृष्णा ५ सोमदिने शुभम् ।
८२३. चौबीसी पूजा
Opening ·
वदी पार्टी परमगुरु, सुरगुरु वंदित जास। विधनहरम मेगलकरन, पूरन परम प्रकास ॥
,

Page Navigation
1 ... 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531