Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara
View full book text
________________
बी जैन सिद्धान्त भवनमावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, drrah
Closing |
चौबीसी जिनदेव प्रभु ग्रह बधो विचार । फुनि पूजौं प्रत्येक तुम जो पायो सुखसार ॥ इति नवग्रह पूजा सम्पूर्णम् ।
Colophon
८५२. नवकार पच्चीसी . मुषकू ढके बोलइ या परधम के हरइ यो करूनान माके
Opening! .
हिये है।
' Closing:
.
यह नवकार सु पर्व पद नपो सुमनवचकाय । सकलकर्मनासकरि पचमगति को जाय ॥२६॥
वकारपचीसी समाप्त.। मिति ज्येष्ठ शुक्ल उदश्या सर्वत् १९९३ साल ।
Opening
Closing. Colophone
1. ना दी मंगल विधान सनदरीनिर्मितमगलादिक नादीविधान क्रियतेत्रशोभनम् । पृथग्विनि त्वयि जिनाचनततो जलादिभिर्ग विशेष.
कमुदा॥ ॐ कपिल घटुकपिगलाय क्ली ब्ली स्वा लो' ही पुष्पवत इति नादीविधान सपूर्ण । ४ नान्दीमंगवविधान -
सौपट
Opening: -
। Closing: Golophon:
. यांतु श्रीपादपध्नानि पचानापरमेष्ठिना।
ललितानि.सुराधीश घडामणि मरीचिभिः ।। यों ह्रीं भद्रासनप्रिय स्वाहा पट्टस्थापनम् । इति नादी मगलविधान समाप्तम् । शुभभूयादिति च ।
Opening : .. Closing i
१५. नित्यनियम पूजा
सौनन्ध्यसातमधुवत . . . जिनौतमानाम् ।। सुखदेवो दुखमेटिवो .. .. पार्वपद निर्वाण
:

Page Navigation
1 ... 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531