Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 515
________________ ३१५ Catal-gue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts (Puja.Patha-Vidhana) ९५३. सामयिक पाठ Opening । Closing । Colophon: देखें-० ८७३ । देखें-०८७३ । नही है। ६५४. शान्त्यष्टक Opening | स्नेहाच्चरणं प्रयान्ति भगवम्पादद्वयन्ते प्रजा हेतुस्तत्रविचित्रदुख निलय मसारघोराम्बुधिः । अत्यन्तस्फुग्दुप्ररश्मिनिकरव्याकीर्ण भूमडलो प्रेम काल इतिन्दुपादसलिच्छायानुलाग रवि: ॥१॥ Closing. उत्तम नवमागल्य मध्यम सप्तमगल । जघन्या पचमागल्य यत्र मगल लक्षणम् ।। विषेश-यह प्रथ वीर निर्वाण सवत् २४४० मे लिखा। ९५५. शान्तिमंत्राभिषेक Opening: ॐ नमो अहंते भगवते श्रीमते पावतीर्थकरायाः द्वादशागोपर मेष्ठितायाः - - ... पवित्राय सर्वज्ञानाय स्वयभुवेः सिद्धाय परमात्मने ... . Closing ! एकमत्रस्थित सिद्ध ... ... एकग्रहपरीक्षा । Colophon नहीं है। Opening: , ६५६, शान्तिपाठ .. शातिजिन शशिनिर्मल वस्त्रां शीलगुणवतसंयमपात्रम् । अष्टसताचितलक्षणगात्रं । नौमिजिनोत्तममम्वुजनेत्र ॥१॥ मत्रहीनो क्रियाहीनो द्रव्यहीनो तथव च । त्वद्भक्ति न जानामि ला क्षमस्वपरमेश्वर ॥ वीर सबर २४३८ या पुस्तक आरावाने जगमोहन बा(भा)इ Closing | Colophon:

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