Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 507
________________ १०७ Catalogue of Sanuket Prokril, Apobhromiho & Hindi Manuscripte ( Paja-Plpha-Vidhann ) कुरु कुरु पुरुषार्थ निवृतानंदहेतो। Colophone ति धी परिताचार्य श्री नरेन्द्रसेनविरपिते पारित पूजा देखें-(१) दि. जि० प्र० २०, पृ० १६२ । ६२४. रत्नत्रय पूगा Opening! देखें ३० ६२ Closing ! देने, *. १२. Colophon: पति श्री पदितापाय पोजिनमेन पिररित रत्नभय पूजा भी समाप्तम् । श्री श्री। ६२६. रत्नत्रय पूजा Opening : Closing : देखें, प्रा० ६२३ ॥ पार्म मणि माणिका भार, पद-पद मगल जयकार । श्रीभूषण गुस्सद पाधार, ब्रह्ममान बोल सुविचार ॥ पति रत्नत्रय वन कया समाप्ता। colophon ६२६. रत्नत्रय पूजा Opening: Closing देखें, ०६२।। एक सरूपप्रकाश निज वचन कहो नहि जाय । तीन भेद व्योहार सब, पानत को सुखदाम ॥ इति रत्नत्रयपूजा समाप्तम् । Colophon it ६२७. रत्नत्रय पूजा Opening: । Closing Colophon:- बहुगति फनि विषहरनमन, दुख पावक जलधार । शिवसुख सुधा सरोवरी, सम्यक या मिहार ।। देखें, ०६२९ । इति श्री रत्नत्रयपूजा सम्पूर्णम् ।

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