Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 512
________________ ३१२ श्री जैन सिद्धान्त भवन प्रत्यावली Shri Devulumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arlid ..६४२. सम्मेदशिखर पूजा Opening सिद्धक्षेत्र तीरथ परम, है उत्कृष्ट सुथान । .. सिखसम्मेद सदा नमो, होय पाप की हानि ।। Closing : सिविर सु पूजे-सदा जो मनवचतन चिनलाइ । दास जवाहिर यो कहीं, जो शिवपुर को जाइ । Colophon: इति श्री सम्मेदशिखरपूजा भाषा सपूर्णम् । ..६४३, सम्मेद शिखर पूजा Opening : __ Closing : परमपूज्य जिन वीस जहां ने शिव लये। . . . औरह वहुन मुनीश शिवाले सुखमये ।। " " , इत्यादि धनी महिमा अपार । प्रणमो: सीसधार।। । इति । ६४४. सरस्वती पूजा Colophon: Opening: मायातीत मयक मम, हरन ताप ममार । __ ऐसे जिन पद कमलप्रति, नमूटरन भवभार । Closing :... देखें, ऋ० ६४५ Colophon: .. इति सरस्वती पूजन समाप्तम् । १४५, सरस्वती पूजा Opening : देखें, ऋ० ६४४ । Closing, मंगलकारक.श्रीअरहत । सिद्ध चिदातम सूरिभर्नत .. । पाठक सर्व साधागुणवत । सुमरि भव्य शिव सौख्य'लहत ।। Colophon . "इति सरस्वती पूजा समाप्तम्। संवत् . १९६२ शक ११२७ लि.५० सीताराम स्वकरण। . ६४६, सप्तषि पूजा ... Opening. विंशतीर्थकर वदे जिनेश मुनिसुव्रतम् । * सप्तचापिमुनीन्द्राणा पूजवः सुशातये ॥


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