Book Title: Jain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Author(s): Rushabhchand Jain
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 502
________________ ३०२ श्री जैन सिद्धान्त भवन प्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Altub Closing : ९११. प्रतिष्ठाकल्प टिप्पण (जिनसंहिता) Opening : . . श्रीमाघनन्दिसिद्धान्तचक्रवत्तितनूभव । कुमुदेन्दुरह वच्मि प्रतिष्ठाकल्पटिप्पणम् ॥१॥ - इति नियमिद यद्देवता अर्चन ये खलु विदति तेषो '। भूतरो गापशाति । जगदखिलमदीप मित्रभाव प्रयातिस्वयममित गुणाढ्या । मुक्तिकाताविवश्या । Colophon: इति श्रीमाघनन्दिसिद्धातच कत्तिसुनचतुर्विधपाण्डत्यचकत्ति श्रीवादिकुमुद वन्द्र पण्डितदवविरचिते प्रतिष्ठाकल्पटिप्पणो यन्त्रार्चनविधिः समाप्त.। अय च श्रावणशुद्धाष्टम्या लिखित्वा समाप्तोऽभूत् ॥ रान। नेमिराजठय ।। महावीर शक २४५१ कोधन सवत्सरः ।। १ . ६१२. प्रतिष्ठा पाठ ... Opening स्फूर्जकेवलिबोध सिन्ध विमरेयविन्दवद्भासते, - यस्य श्रीपरमेष्ठिनो जिनपतेनिमेयसूनोस्त्रयम् । लोकाना सकलासुभृतकरूणया धर्मो द्वियोद्योतिन स्तमै श्री मदनतचिनमय कलासवितेस्तानमः ।। Closing : वसुविदुरिति - ... " तन्नमोस्तुहितषिणाम् ।। Clolophon. __ इति श्रीमत् कुदायोदय अधरविवामणि श्री जयसेनाचार्य विरचित: प्रतिष्ठासार सम्पूर्णम् । देखें-(१) दि, जि. प र,पृ. १६६ । (२) जि. र. को,,पृ. २६१।। () प्र० ० सा०, पृ० १७६ ॥ "९१३, प्रतिष्ठा पाठ' : Opening 1 प्रणम्य स्वस्ति ऋद्धि'श्रीजानकातिप्रदायिने ... -1 निहाँ प्रथम मुहुर्तकामा सलिषीये ने - .

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