Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala Author(s): Shreepalchandra Yati Publisher: Pandurang Jawaji View full book textPage 9
________________ MMM m m mr mmmm विषय पृष्ठ. विषय पृष्ठ. बरा और मंगोरा आदि ... ... प्रातःकालका जलपान ... आमका पत्ता आदि ... मलमूत्रका त्याग... ... ... २९१ तिलकुटा... ... ... ... २५४ | मुखशुद्धि... ... ... ... २९२ कांजी बरा आदि ... व्यायाम अर्थात् कसरत... .. २९३ कपूरनाली आदि... ... व्यायामका निषेध ...२९५ पथ्यापथ्य तैलमर्दन ... पथ्यापथ्यका वर्णन ... सुगंधित तैलोंके गुण • २९५ पथ्यपदार्थ ... ... स्नान ... ... .. २९८ शाकोंमें ... ... ... पैर धोना... ... ... २९९ कुपथ्य पदार्थ ... ... भोजन ... ... सामान्य पथ्यापथ्य आहार भोजनके नियम ... पथ्यविहार ... ... मुखसुगंध ... ... दुर्बल मनुष्य के खानेयोग्य पदार्थ शयन निद्रा ... ... स्थूल मनुष्यके खानेयोग्य ... २६५ खप्नविचार ... ... ... ३११ मज्जातंतुओंको दृढ़ बनानेवाला २६६ / सदाचारवर्णन स्मरणशक्ति और बुद्धिको बढाने- | सदाचारका स्वरूप ... ... ३१४ वाली खुराक ... ... जुआ आदि सात व्यसन ... ३१५ बीमारीके पीनेयोग्य जल ... २७० | सर्व हितकारी कर्तव्य ... ... ३२४ नींबूका पानक ... ... ... २७० रोगसामान्य कारण गोंदका पानी ... ... ... २७१ रोगका विवरण ... ... ... ३२९ जौका पानी ... ... ... २७१ रोगके कारण ... ... ... ऋतुचर्यावर्णन खकृतादि कारण... ... ऋतुके अनुकूल आहार विहार ... २७१ प्रत्येक मनुष्यके आदिकारण वसंत ऋतु ... ... ... २७४ रोगके दूरवर्ति कारण ... वसंतका पथ्यापथ्य ... ... | मातापिताकी निर्बलता .... ३४० वसंतका खानेयोग्य नियम ... २७७ निजकुटुंबमें विवाह ... ३४१ ग्रीष्म ऋतुका पथ्यापथ्य ... २८० बालकपनमें विवाह ३४३ वर्षा और प्राकृट्का पथ्यापथ्य ... २८२ संतानका बिगडना शरद् ऋतुका पथ्यापथ्य... ... २८४ अवस्था... ... हेमंत और शिशिरका पथ्यापथ्य २८६ / जाति ... ... ... दिनचर्यावर्णन जीविका का वृत्ति... ... ... प्रातःकालका उठना ... ... २८९, प्रकृति ... ... ... ... प्रातःकालका वायुसेवन ... ... २९० । रोगजनक समीपवर्ति कारण ... ३६२ س س س س ३४० س س س سے Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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