Book Title: Jain Sahitya ke Vividh Ayam
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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( २८ ) ११४. मज्झिमनिकाय १।४।१० ११५. स्थानांग १८२; समवायांग ३ ११६. माया सल्ले, नियाण सल्ले मिच्छादसण सल्ले ११७. तत्त्वार्थसूत्र ७।१८ ११८. मज्झिमनिकाय ३३१०५ ११९. वही ११५।३ १२०. वही १।२।४ १२१. वही १।२।२ १२२. स्थानांग ४।४।३७३ १२३. मज्झिमनिकाय १।५।१ १२४. सूत्रकृतांग ११८।९।३६ १२५. औपपातिकसूत्र १२६. मज्झिम निकाय १।३।४ १२७. वही २।३५ १२८. वही ११३१४ १२९. वही १।३।६ १३०. भगवती ८।३।१०; २०१३।२ १३१. मज्झिमनिकाय ११४ १३२. विनयजिनशासन मूलो १३३. आवश्यकसूत्र १३४. अंगुत्तरनिकाय १३५. स्थानांग, ठा० १. १३६. अंगुत्तरनिकाय १३७. सेन्ट मेथ्यू की सुवार्ता २५; सेन्ट ल्यूक की सुवार्ता १९ १३८. ज्ञाताधर्म कथा ८ १३९. बालहस्सजातक पृ० १८६ १४०. जातक (चतुर्थ खण्ड) ४९७; मातंगजातक, पृ० ५८३.६०७ १४१. जातक (चतुर्थ खण्ड) ४९८, चित्तसंभूतजातक, पृ० ५९८-६०० १४२. हत्थिपाल जातक ५०९ १४३. शांतिपर्व, अध्याय १७५, २७७ १४४. महाजनजातक ५३९ तथा सोनकजातक सं० ५२९ १४५. महाभारत शांतिपर्व, अ० १७८ एवं २७६
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