________________ हमारे लघुप्रकाशान 1. World Problems & Jaina Ethics-Dr. Beni Prasad 1.50 2. Mahavira-Dr. Amar Chand 1.50 3. Jainism in Indian History-Dr. Bool Chand 1.50 4. Progress of Prakrit and Jaina Studies - Dr. B.J. Sandesara 2.00 5. Jaina Monastic Jurisprudence--Dr. S. B. Deo -8.00 6. Literary Evaluation of Paumacariyam -Dr. K.R.Chandra8.00 7. जेन दार्शनिक साहित्य के विकास की रूपरेखा -0 दलसुख मारूणिया 1.50 ८.जेन संस्कृति का हृदय-पं० सुखलालजी 1.50 9. अन्तनिरीक्षण-पं० सुखलालजी 1.50 10. जेन साहित्य की प्रगति-पं० सूखलालजी 200 21. भगवान महावीर-पं० दलसुख मालवणिया 150 12. आत्ममीमांसा-० दलसुख मालवणिया 10.00 13. जैन अध्ययन की प्रगति-पं० दलसुख मालवणिया 150 14. जैन ग्रन्थ और ग्रन्थकार-श्री फतहचन्द बेलानी 4.00 15. भारत के प्राचीन जैन तीर्थ-डा० जगदीशचन्द्र जैन 16. जीवन में स्थाबाद-श्री चन्द्रशंकर शुक्ल 2.00 17, हेमचन्द्राचार्य का शिष्यमण्डल डा० भोगीलाल सांडेसरा 1.50 18. मगध-श्री बैजनाथ सिंह 'विनोद' 200 19. सुवर्णभूमि में कालकाचार्य-डा० उमाकान्त शाह 2000 20. स्वाध्याय—महात्मा भगवानदीन 21. महामात्य वस्तुपाल का साहित्यमण्डल और संस्कृत साहित्य में ससकी देन-डाभोगीलाल सांडेसरा 1000 22. प्राकृत भाषा-डा० प्रबोध बेचरदास पंडित 23. अहिंसा की सम्भावनाएं-डा० सागरमल जैन 200 24. जैन साहित्य और शिल्प में बाहुबलि-डा० सागरमल जैन 2.00 25. जैन साहित्य के विविध आयाम–सम्पा० डा० सागरमल जैन 4.00 पाश्र्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान आई०टी० आई० रोड, वाराणसी-५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org