Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Author(s): Bhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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एतद्रहस्यानुभवो यस्यास्ति गुरुबोधनः । __ स एव व्योमयानाधिकारी स्यान्नेतरे जनाः ।। अर्थात् जो गुरु से भलीभांति ३२ रहस्यों को जान उन्हें अभ्यास कर, रहस्यों की जानकारी में प्रवीण हो वही विमानों के चलाने का अधिकारी है, दूसरा नहीं।
ये ३२ रहस्य बड़े ही विचित्र तथा वैज्ञानिक ढंग से बनाये हुए थे। आजकल के विमानों में भी वह विचित्रता नहीं पाई जाती। इन ३२ रहस्यों को पूरा लिखना लेख की काया को बहुत बड़ा करना है। पाठकों को ज्ञान तथा अपनी पुरानी कला-कौशल के विकास की झांकी दिखाने के लिए कुछ यन्त्रों का नीचे वर्णन करते हैं :
१. पहले कुछ रहस्यों के वर्णन में वह अनेक प्रकार की शक्तियों, जैसे छिन्नमस्ता, भैरवी, वेगिनी, सिद्धाम्बा आदि को प्राप्त कर, उनको विभिन्न मार्गों या प्रयोगों जैसे-घुटिका, पादुका, दृश्य, अदृश्यशक्ति मार्गों और उन शक्तियों को विभिन्न कलाओं में संयोजन करके अभेदत्व, अछेदत्व, अदाहत्व, अविनाशत्व आदि गुणों को प्राप्त कर उन्हें विमान-रचना क्रिया में प्रयोग करने की विधियाँ बताई हैं। साथ ही महामाया, शाम्बरादि तांत्रिकशास्त्रों ( Technical Literatures ) द्वारा अनेक प्रकार की शक्तियों के अनुष्ठानों के रहस्य वर्णित किये हैं। यह लिखा है कि विमानविद्या में प्रवीण अति अनुभवी विद्वान् विश्वकर्मा, छायापुरुष, मनु तथा मय आदि कृतकों ( Builders or constructors) के ग्रंथ उस समय उपलब्ध थे। रामायण में लिखा है कि 'पुष्पक' विमान के आविष्कारक या मांत्रिक ( Theorist) अगस्त्य ऋषि थे पर उसके निर्माण कर्ता विश्वकर्मा थे।
२. आकाश-परिधि-मण्डलों के संधिस्थानों में शक्तियाँ उत्पन्न होती हैं और जब विमान इन संधि-स्थानों में प्रवेश करता है तो शक्तियाँ उसका सम्मर्दन कर चूर-चूर कर सकती हैं अतः उन संधियों में प्रवेश करने से पूर्व ही सूचना देने वाला "रहस्य" विमान में लगा होता था जो उसका उपाय करने को सावधान कर देता था। क्या यह आजकल के ( Radar ) के समान यन्त्र का बोध नहीं देता? ___३. माया विमान वा अदृश्य विमान को दृश्य और अपने विमान को अदृश्य कर देने वाले यन्त्र रहस्य विमानों में होते थे।
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