Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 5
________________ शतावधानी रत्नचंद्र लायब्रेरी शोध संस्थान का अंग है। उसमें शोध के हेतु से ही ग्रंथ-संग्रह होता रहता है। अपने स्कॉलरों के अलावा हिन्दू-यूनिवर्सिटी के अन्य स्कॉलरों और उसके अध्यापकों के लिए भी हमारा संग्रह बड़ा उपयोगी है। संस्थान की अपनी चार एकड़ जमीन पर १०४४५२ फूट का विशाल लायब्ररी भवन है। अध्यक्ष के लिए स्वतन्त्र निवास स्थान है। अन्य कर्मचारियों के लिए भी निवास की व्यवस्था है। रिसर्च-स्कॉलरों के लिए दस क्वार्टरों के होस्टल की नीवें भर चुकी हैं। __ संस्थान से जैनविद्या का मासिक 'श्रमण' निकलता है। उसके अधिकांश लेख शोधपूर्ण हाते हैं। इस समय यह पत्रिका उन्नीसवें वर्ष में है। ___ इनका और अन्य आवश्यक प्रवृत्तियों का संचालन श्री सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति करती है। समिति रजिस्टर्ड सोसायटी है। इसको दिया जाने वाला दान इन्कमटैक्स से मुक्त होता है। __ इस तीसरे भाग के प्रकाशन का व्यय समिति के सर्वप्रथम और आयुपर्यन्त खजाँचो स्व० श्री मुनिलालजी के सुपुत्रों-श्री मनोहरलाल जैन. बी० कॉम, श्री रोशनलाल जैन, श्री तिलकचंद जैन और श्री धर्मपाल जैन ने वहन किया है। इन्हीं भाइयों ने पहले भाग के प्रकाशन का खर्च भी दिया था। रूपमहल हरजसराय जैन फरीदाबाद मन्त्री ५.१२.६७ श्री सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति अमृतसर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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