Book Title: Jain Padarth Vigyan me Pudgal
Author(s): Mohanlal Banthia
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 31
________________ दूसरा अध्याय पुदगल के लक्षणो का विश्लेषण १३ ३ पुद्गल अजीव है : जिसमें जीवत्व का अभाव हो वह अजीव है। पुद्गल जीव से सर्वथा विरुद्ध जड है, चैतन्यविहीन है, एव उपयोगरहित है। जीव का लक्षण उपयोग कहा गया है। अत पुद्गल उपयोग लक्षण रहित होने के कारण जीव नही है। पुद्गल जीव नहीं, अजीव ४ पुद्गल अस्ति है सत् है। मरीचिका या माया नही है। कालव्यतिरेक पुद्गलसह पांच द्रव्यो का "अस्तित्व" ही मृल गुण हैं। अस्तित्व, विभाव-गुण नही, स्वभाव-गुण हैं। यह (यानी द्रव्य का अस्तित्व) गुण पर्याय सहित है तथा उत्पादव्ययध्रुवत्व १-उपयोगो लक्षणम् । तत्त्वार्थसूत्र अ० २ सूत्र ८ २--जीवादन्योज्जीव Xx सतएव वस्तुनोऽभिमत , विधिप्रधानत्वात्, अतस्तुत्यास्तित्वेव, भावेषु चैतन्यनिषेधद्वारेण धर्मादिप्वजीवा इत्यनुशासनम् । ३-जीवो न भवतीत्यजीव । ४-इह विविध लक्षणाना लक्षणमेक सदिति सर्वगत । --प्रवचनसार अ० २ गाथा ५ पूर्वाद्ध छाया। ५-अस्तित्व हि किल द्रव्यस्य स्वभाव ।-प्रवचनसार अ० २ गा० ४ को प्रदीपिकावृति।

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