Book Title: Jain Padarth Vigyan me Pudgal
Author(s): Mohanlal Banthia
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 97
________________ पष्टम अध्याय परिभाषा के सूत्र * १ - पूरणाद्गलनाद्पुद्गल इति सज्ञा । २ - पुगिलानाद्वा । * ३ - पुद्गल द्रव्यम् । (क) गुणपर्यायवद् ब्रव्यम् । (ख) द्रव्याश्रया निर्गुणा गुणा । (ग) भावान्तर सज्ञान्तर च पर्याय । * (घ) सहभाविनो धर्मा गुणा । * (च) क्रमभाविनो धर्मापर्याय । ४ - नित्यावस्थिता अजीवा । तदुद्भावाव्ययम् नित्यम् । न न्यूनाधिकमवस्थितम् । --राजवर्तकम् -- तत्त्वार्थसूत्र --तत्त्वार्यसूत्र तत्त्वार्यसूत्र भाष्य --तत्त्वार्थसूत्र (क) * ( ख ) * ( ग ) अनाद्यनिधन च । (घ) जीवादन्योऽजीव । --सिद्धिसेन गणि तत्त्वार्य टीका । (च) जीवो न भवतीत्यजीव । -- सिद्धिसेन गणि तत्त्वार्य टीका * जहाँ इस तरह के स्टार चिह्न है, वे सूत्र लेखक के स्व-निर्मित हैं।

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