Book Title: Jain Padarth Vigyan me Pudgal
Author(s): Mohanlal Banthia
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 49
________________ दूसरा अध्याय पुद्गल के लक्षणों का विश्लेषण ३१ 'प्रज्ञापना' सूत्र में अजीव के दम परिणाम बताये है जो सब पुद्गल में लागू होते है। इन दम में ५ तो उपरोक्त 'भगवती' सूत्र में कथित (वर्ण, रस, गन्ध, स्पर्श और सस्थान) ही है तथा अवशेप इस प्रकार है-चन्व, भेद, गति, शब्द तथा अगुरु-लघु।। ___ काल की अपेक्षा से परिणाम बताया गया है अनादि, सादि'। पुद्गलो का परिणाम आदिमान है। पुद्गल परमाणु स्वअवस्था में गति तथा अगुरु-लघु यह दो परिणमन ही करेगा। अन्य परमाणु के या स्कन्ध के माथ वन्व होने से ममगुण वाला समगुण को लेकिन विमदृश को परिणमन कर सकता है। अधिक गुणवाला हीन गुणवाले को परिणमन करेगा। पुद्गल का आदिमान परिणाम अनेक प्रकार का है। परिणाम मे निमित्त अपेक्षा से तीन भेद है --प्रयोग परिणति, मिश्र परिणति और विसमा परिणति। १० पुद्गल अनन्त है पुद्गल का प्रथम स्वरूप परमाणु है, जो अनन्त है। अत १-अनादिरादिमाश्च ।-तत्वार्थसूत्र ५ ४२ २-रूपिष्वादिमान । -तत्त्वार्थसूत्र ५ ४३ ३-बधे समाधिको परिणामिको।-तत्त्वार्यसूत्र ५ ३६ ४-रूपिषु द्रव्येषु आदिमान् परिणामोऽनेकविध ।। -तत्त्वार्थसूत्र ५ ४३ का भाष्य । ५-तिविहा पोग्गला पण्णता-पयोगपरिणया, मीससा परिणया, विससा परिणया। --भगवतीसूत्र श ८ उ १

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