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आचारदिनकर (भाग-२) 145 जैनमुनि जीवन के विधि-विधान
__ आचार्य श्रीवर्द्धमानसूरि विरचित “आचारदिनकर" में यतिधर्म के उत्तरायण में प्रवर्तिनी पदस्थापना कीर्तन नामक यह अट्ठाईसवाँ उदय समाप्त होता है।
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