Book Title: Jain Hitechhu 1911 Book 13
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

View full book text
Previous | Next

Page 307
________________ र ... PANA RANC MMN 35453 जब यह हुई अवस्थावाली ___ अजब निराली रंगरुपसे, ... इसको देख शची सकुचानी, ___पानी उतर गया रति-मुखका. इसकी तनुका सुन्दर वर्ण समझ, ताव पर सुवर्ग रक्खा खूब तपाया जाताहै वह - पाताहै कब तुलना तब भी ? जितने जगमें थे परमागु___ सुंदरताके, सभी जडे थेइसकी तनुमें; नखसे सिखतक . बस सुरूप यह थी इसकीसी. बूंघरवाले, लम्बे लम्बे, ___ काले, सुरभित, घने, मुलायम, केश सुकेशी भी लख इसके ___कभी नहीं सन्मुख आतीथी. .x.hd.vios.ac.4100-000-town-vow.yow.you.." SONOTENTLETERTERRIES

Loading...

Page Navigation
1 ... 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338