Book Title: Jain Hitechhu 1911 Book 13
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 322
________________ महाशया भोजन स्वच्छतासे - अच्छा बनाती, फल फूल लाती, - कर्तव्य सारा अपना निभाती, ___अच्छे रिझाती पतिदेवताको. • आते यहां जो पुरके निवासी के होते स्वयं धर्मपथानुरागी, विनाश पाती उनकी उदासी, अशान्ति जाती, शुभशान्ति आती. & व्यतीत यो मास कई गये हो परन्तु आया जब जेठ मास 0 बडी कडी धूप लगी तपाने आने लगी लू जगको सताने थी आगकीसी जलतो हई भू. ॐ सूखे पडे थे सर, ताल, झोल, - अरण्य दावानलसे घिराथा, प्राणी सभी थे झुलसे हुए से. ا لأول من حلاوة مبا نے بلایان به قه ८७.sot

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