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विनयपूरित कोमल वाक्य ये - जब सुने सब शाल्व-महीपने तब 'तथास्तु' कहा मुद् पा महा, .
मधुर वाक्य किसे नहिं मोहते ? निज मता विधिसे नृप शावके
तनयके करमें कर अर्पित गह बिदा निज पत्तन को गया
सपरिवार महीश्वर मद्रका.
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