Book Title: Jain Hitechhu 1911 Book 13
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 332
________________ ६.२८.. BAM .८०८. Rulery VOCOMMC RSS " सब प्रकारसे स्वस्थचित्त हो, समुखि ! जो चहे और मांग ले; । तव प्रसन्न हूं धर्म वृत्तिसे, . न कह किन्तु तू नाथ जी उठे." " मम पिता बने पुत्रका पिता, मुख लखे तथा पुत्रका मम । अधिक चाहना है नहीं मुझे." ___ तब तथास्तु' ही धर्मने कहा. मुदित हो गई, सुस्करा गई, ___ मधुरतामयी सुन्दरी तभी; निकल आय जो काम बुद्धिसे ___ खुश न हो कहो कौन तो सुधी? चतुरता भरे वाक्य बोलने फिर लगी यही बुद्धिशालिनीः " वचन एक ही सत्य संघके निकलते, कमी लाटते न जो; 2: 19397906850.comorropm-0mm ..donload.LNJL8J.30. ...

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