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" सब प्रकारसे स्वस्थचित्त हो,
समुखि ! जो चहे और मांग ले; । तव प्रसन्न हूं धर्म वृत्तिसे, . न कह किन्तु तू नाथ जी उठे." " मम पिता बने पुत्रका पिता,
मुख लखे तथा पुत्रका मम । अधिक चाहना है नहीं मुझे." ___ तब तथास्तु' ही धर्मने कहा.
मुदित हो गई, सुस्करा गई, ___ मधुरतामयी सुन्दरी तभी; निकल आय जो काम बुद्धिसे ___ खुश न हो कहो कौन तो सुधी? चतुरता भरे वाक्य बोलने
फिर लगी यही बुद्धिशालिनीः " वचन एक ही सत्य संघके
निकलते, कमी लाटते न जो;
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