Book Title: Jain Hitechhu 1911 Book 13
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 333
________________ LOSTv. .८. ०८. ०४८८० VALtd.dot.ko...... .८.30000 -00- 000 -000 VEALE धर सरस्वती ध्यान सर्वदा, विमल सत्यको खोज खोजकेमुनि बडे बडे छोड हैं गये विविध ग्रंथ जो, ज्ञान पूर्ण हैं सकल एकसे एक श्रेष्ठ हैं ___ भरतभूमिके आर्यशास्त्र येकि जिनको लिये आर्यजातिका विमल होरहा आज भी मुखसब बता रहे, आप धर्म हो, __न टलती कभी बात आपकी, . सकल लोक के हैं छिपे नहीं __ हृदय भाव भी आपसे कहीं, यदि पतिव्रता जानते मुझे, __ यदि मुझे नहीं ध्यान औरका, कर कृपा मुझे शान्ति दीजिये, सजनको मेरे साथ कीजिए, -00- 00 -00 E 0000-tro.-00 -.. -. -. NAME -..-.'

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