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" श्वशुरको लगे दीखने, प्रभो!
विगत राज्य भी प्राप्त हो उन्हें." वचन जो सुने धर्म ने कहाः ।
“ सुमुखि ! लौट जा दे दिया यह;अवधि है यही सृष्टिनेहकी ___ मरण हो गया लीन हो गया सुत पितादिका भाव मात्र हो, . . समय सिन्धुकी भूतवीचिमें." तब कहाः “ विभो ! सत्पतिव्रता ___ जगतमें जहां जाय जासके गति रुके नहीं तीन लोकमें. - दृढ प्रमाण है धर्म ही यहां. इसलिये विभो ! धर्म ! धर्मसे
न करिये जुदा, आर्यपत्नी हूं. न टलनी कभी जीवितेशके । ____चरणदास्यसे, स्वीय धर्मसे."
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