Book Title: Jain Hitechhu 1911 Book 13
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah
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Indsamne
सुलोचनाका मान विमोचन
हुआ, देखकर लोचन इसके; हरिणी दौडगई जंगलमें, __जलमें डूबरही मछली भी, इसकी सुनें सुरीली वाणी ___ मानी वृथा मंजुघोषाको; यह गाती जब कभी प्रवीणा
निजवीणा रख देती वाणी. पुण्यवती यह, दयावती यह, ___ कलावती यह, शीलवती यह;
रूपमती यह, बुद्धिमती यह, ___ भाग्यवती यह, अतिविदुषी यह, तेजस्विनी, यशस्विनी यह,
धर्म-मर्मकी वेदिनी यह, जग भीतर थी प्रसिद्ध जितनी
उससे तो थी सौगुनी यह.
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