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( ११ ) वैद्य विष्णु कुमार शास्त्री
बड़नगर आयुर्वेद रत्न दिनांक २७/७/७४ आयुर्वेदभूपण, न्यायभूषण
हिन्दू, यह कोई धर्म या सम्प्रदाय नहीं है, यह तो भौगोलिक दृष्टि से अर्वाचीन नाम है, प्राचीन नाम भारत है।
भारतीय धरातल पर शैव, वैष्णव, शाक्त, जैन, बौद्ध, सिक्ल आदि धर्म फले फूले हैं और इन सबको हिन्दुत्व अपनी वाह में समेटे है।
दृश्य के चिन्तवन से विज्ञान व अदृष्य के चिन्तवन से दर्शन की उत्पत्ति होती है और विकास होता है । भारतीय दर्शन या हिन्दू दर्शन में पदार्थों का अनेक प्रकार से विचार या ऊहापोह किया है, किन्तु इन सब चिन्तन को छः दर्शनों में समावेश कर दिया गया है । छः दर्शनों में जैन दर्शन भी है।
विविध दृष्टिकोण से विविध अपेक्षा से दर्शन शास्त्रों में पदार्थों का विचार किया और जैन दर्शन में उन सबका समन्वय किया, दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि सब दर्शनों को यदि इकट्ठा कर दिया जाये तो यह जैन दर्शन ही कहलाएगा। अतः जैन दर्शन या जैन धर्म हिन्दुत्व से पृथक नहीं है ।
वैद्य विष्णुकुमार
बड़नगर