Book Title: Jain Dharm ke Sampraday Author(s): Suresh Sisodiya Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan View full book textPage 7
________________ दायों की श्रमणाचार एवं श्रावकाचार सम्बन्धी मान्यताओं को क्रमशः पंचम एवं षष्ठम अध्याय में प्रस्तुत किया गया है। . प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रणयन में मुझे विभिन्न विद्वानों का जो सहयोग मिला. है, उसके लिए मैं उनका अत्यन्त अभारी हूँ। उन विद्वानों का, जिनको कृतियाँ इस रचना में सहायक रही हैं, ग्रन्थ की पाद-टिप्पणियों में यथा- संदर्भ उल्लेख किया है और संदर्भ ग्रन्थ सूची में भी उनके नाम तथा उनकी कृतियों को समाविष्ट किया गया है। मैंने अपना शोध प्रबन्ध डॉ० एस० आर० व्यास, विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के निर्देशन में प्रस्तुत किया था, उनके सस्नेह मार्ग-- दर्शन से में इस कार्य को पूर्ण कर सका, अतः में अपने गुरुवर्य डॉ० व्यास सा० का हृदय से आभारी हूँ। विभिन्न प्रसंगों पर मुझे जैनधर्म के विभिन्न सम्प्रदायों के अनेक आचार्यों एवं साधु-साध्वियों, यथा-आचार्य नानालालजी एवं युवाचार्य रामलालजी (साधुमार्गी संग), आचार्य तुलसी जी एवं युवाचार्य महाप्रज्ञजी (तेरापंथ सम्प्रदाय) आचार्य देवेन्द्रमुनि जी एवं श्री सौभाग्यमुनिजी 'कुमुद' (श्रमण संघ) एवं आचार्य विद्यानन्द जी (दिगम्बर सम्प्रदाय). आदि से तत्त्व-चर्चा करने का अवसर मिला है, इनके सुझाव एवं मार्ग-- दर्शन से मुझे प्रेरणा मिलो है, अतः इन सबका भी मैं आभारी हूँ। मैं संस्थान के मार्गदर्शक प्रो. कमलचन्द सोगानी, मानद निदेशक प्रो० सागरमल जैन एवं महामन्त्री श्री सरदारमल जी कांकरिया के मार्ग दर्शन एवं सहयोग हेतु आभार प्रदर्शित करने के लिए शब्दों की रिक्तता का अनुभव कर रहा हूँ। प्रो० कमलचन्द सोगानी ने मेरो शोध दिशा को निश्चित कर उसे गति दो है। मेरे लेखन और चिन्तन को विकसित करने का सारा श्रेय यदि किसी को दिया जा सकता है तो वे हैं प्रो० सागरमल. जैन। श्री सरदारमल जी कांकरिया की उदारवृत्ति, शिक्षाप्रेम और उनको सम्प्रदाय निरपेक्ष दृष्टि का हो परिणाम है कि मैं अपने विचारों को सदैव तटस्थ होकर प्रस्तुत कर सका है। इन तीनों विभूतियों का जो स्नेह एवं सहयोग मुझे मिला है उसके लिए मात्र शाब्दिक आभार व्यक्त करके मैं उऋण नहीं होना चाहता वरन् मेरो तो यही अभिलाषा है कि. मैं इन तीनों के सहयोग एवं निर्देशन से अपनी शोधवृत्ति को सदैव गतिमान रखें।Page Navigation
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