Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 14
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

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Page 6
________________ साहित्य प्रकाशन के अन्तर्गत् जैनधर्म की कहानियाँ भाग १ से २० तक एवं लघु जिनवाणी संग्रह : अनुपम संग्रह, चौबीस तीर्थंकर महापुराण (हिन्दीगुजराती), पाहुड़ दोहा-भव्यामृत शतक - आत्मसाधना सूत्र, विराग सरिता तथा लघुतत्त्वस्फोट, अपराध क्षणभर का (कॉमिक्स), भक्तामर प्रवचन (गुजराती) - इसप्रकार २८ पुष्पों में लगभग ७ लाख से अधिक प्रतियाँ प्रकाशित होकर पूरे विश्व में धार्मिक संस्कार सिंचन का कार्य कर रही हैं। जैनधर्म की कहानियाँ भाग १४ के प्रस्तुत संस्करण में ब्र. हरिभाई, सोगढ़ द्वारा लिखित राजा श्री कंठ का वैराग्य ( नाटक - गद्य), वीर वरांग कुमार का वैराग्य, भगवान देशभूषण - कुलभूषण.... एवं श्री टोडरमल महाविद्यालय, जयपुर के छात्रों द्वारा तैयार किया गया 'पुण्यप्रकाश अदालत में' नामक (नाटक-गद्य) प्रकाशित किया गया है। इसका सम्पादन व प्रूफ संशोधन पण्डित रमेशचंद जैन शास्त्री, जयपुर ने किया है। अतः हम इन सभी के आभारी हैं। आशा है इसमें समागत महापुरुषों के जीवन चरित्रों का स्वाध्याय कर पाठक गण, मंचन कर कलाकार गण तथा देखकर दर्शक गण अवश्य ही बोध प्राप्त कर सन्मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल करेंगे। साहित्य प्रकाशन फण्ड, आजीवन ग्रन्थमाला शिरोमणि संरक्षक, परमसंरक्षक एवं संरक्षक सदस्यों के रूप में जिन दातार महानुभावों का सहयोग मिला है, हम उन सबका भी हार्दिक आभार प्रकट करते हैं, आशा करते हैं कि भविष्य में भी सभी इसी प्रकार सहयोग प्रदान करते रहेंगे। विनीतः मोतीलाल जैन अध्यक्ष प्रेमचन्द जैन साहित्य प्रकाशन प्रमुख आवश्यक सूचना पुस्तक प्राप्ति अथवा सहयोग हेतु राशि ड्राफ्ट द्वारा “अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन, खैरागढ़” के नाम से भेजें। हमारा बैंक खाता स्टेट बैंक आफ इण्डिया की खैरागढ़ शाखा में है। (4)

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