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इतिहास था ।। और उसके प्रबन्धके लिए एक गाँव मूलसंघ, सेनगण और पोगरिगच्छके रामसेन मुनिको दानमें दिया था। इस राजाने वेल्गोला प्रदेशमें कई जिनालय बनवाये थे जिन्हें राजाधिराज चोलने जला दिया । __पूर्वीय चालुक्य वंशको शाखाको परम्परा पुलकेशी द्वितीयके भाई कुब्ज विष्णुवर्द्धनसे चलती है। इसने सन ६१५ से ६२३ ई० तक राज्य किया था। इस शके कुछ राजाओंने जैनधर्मका अच्छी तरह संरक्षण किया था। अम्माराज विजयादित्यने कटकाभरण जिनालयकी पूजादिके हेतु यापनीयसंघ नन्दिगच्छके एक मुनिको ग्राम दानमें दिया था। तथा मर्नलोकाश्रय जिन भवनकी मरम्मत आदिके लिए वलहारिगण, अडुकलि गच्छके अर्हनन्दि मुनिको कलचुम्बरू नामक गाँवदानमें दिया था।
६. कालाचुरि राज्यमें जैनोंका विनाश चालुक्योंका राज्य बहुत थोड़े समय तक ही रहा; क्योंकि उन्हें कालाचूरियोंने निकाल बाहर किया । यद्यपि कालाचूरियोंका राज्य भी बहुत थोड़े समय तक ही रह सका किन्तु जैनधर्मके विनाशकी दृष्टिसे वह स्मरणीय है। ___महान कालाचूरिनरेश विज्जल जैन था। किन्तु उसका समय लिंगायत सम्प्रदायके उद्गम और शिवभक्तिके पुनरुज्जीवन की दृष्टिसे उल्लेखनीय है। विज्जलके अत्याचारी मन्त्री वसवके नेतृत्वमें इस सम्प्रदायने जैनोंको वहुत कष्ट दिया। _ विजलराज चरितके अनुसार वसवने अपने स्वामी जैन राजा विजलकी हत्याके लिए क्या-क्या नहीं किया। फलतः उसे देशसे निकाल दिया गया। और निराश होकर वह स्वयं एक कुएं में गिर गया। किन्तु उसके अनुयायिओंने उसके इस प्राणत्यागको “धर्मपर वलिदान' का रूप दिया और लिंगायत सम्प्रदायके विषयमें ललित और सरल भाषामें साहित्य तैयार करके देशमें सर्वत्र वितरित किया। तथा जिन लिंगायत नेताओं