Book Title: Jain Dharm
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 367
________________ विविध ३४५ कौशाम्बी नगरी माना जाता है । इस नगरीमें भगवान पद्मप्रभुका जन्म हुआ था। अयोध्या-जैन शास्त्रोंके अनुसार यह प्रसिद्ध नगरी अतिप्राचीनकालसे जैनोंका मुख्य स्थान रही है। जैनोंके ५ तीर्थकरोंका जन्म इसी नगरीमें हुआ था। आज यहाँ अनेक जैन मन्दिर और धर्मशालाएँ वर्तमान हैं। ___ खुखुन्दू-गोरखपुरसे एन० ई० रेलवेका नोनखार स्टेशन २९ मोल है । वहाँसे ३ मील खुखुन्दू गाँव है । इसका प्राचीन नाम किष्किन्धा बतलाया जाता है। यह श्रीपुष्पदन्त तीर्थङ्करका जन्मस्थान है। यहाँके मन्दिर में श्री पुष्पदन्त भगवानकी मूर्ति विराजमान है। - सेटमेंट-फैजाबादसे गोंडा रोडपर २१ मील बलरामपुर है। बलरामपुरसे १० मीलपर सेंटमेंट है। इसका प्राचीन नाम श्रावस्ती बतलाया जाता है जो कि तीसरे तीर्थङ्कर संभवनाथकी जन्मभूमि है। ___रत्नपुरी-यह स्थान फैजाबाद जिलेमें सोहावल स्टेशनसे शा मील है । यह श्रीधर्मनाथ स्वामीकी जन्मभूमि है। एक मन्दिर श्वेताम्बरोंका व दो दिगम्बरोंके हैं। कम्पिला-यह तीर्थक्षेत्र जिला फरक्खाबादमें एन० इ० रेलवेके कायमगंज स्टेशनसे ८ मील है । यहाँ तेरहवें तीर्थङ्कर श्रीविमलनाथके ४ कल्याणक हुए हैं। प्रतिवर्ष चैत्र मासमें यहाँ मेला भी भरता है और रथोत्सव होता है। ____ अहिक्षेत्र-एन० आर० की बरेली-अलीगढ़ लाइनपर आँवला स्टेशन है । वहाँसे ८ मील रामनगर गाँव है उसीसे लगा हुआ यह क्षेत्र है । इस क्षेत्रपर तपस्या करते हुए भगवान पार्श्वनाथके ऊपर कमठके जीवने घोर उपसर्ग किया था। और उन्हें केवलज्ञानको प्राप्ति हुई थी। प्रतिवर्ष चैत्र बदी ८ से द्वादशी तक यहाँ मेला होता है। हस्तिनागपुर-यह क्षेत्र मेरठसे १२ मील है। यहाँ श्रीशा

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