Book Title: Heervijay Suri Jivan Vruttant Author(s): Kanhaiyalal Jain Publisher: Atmanand Jain Tract Society View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org स्नेह-सदन, कस्तला ॥ दो शब्द ॥ विज्ञवाचकवृन्द ! इसके परिचय के लिये अधिक न लिख कर केवल इतना लिख देना ही यथेष्ट समझता हूं कि यह अकबर की सभा के विद्वानों की पांच श्रेणियों में से प्रथम श्रेणी के श्री जैन मुनि हीरविजयसूरीश्वर का जीवन वृत्तांन्त है । मैं कोई प्रतिभाशाली कवि वा सुलेखक नहीं किन्तु श्री आत्मानन्द जैन ट्रैक्ट सोसायटी के आदेश से इसके लिखने का अनधिकार साहस किया है । अतएव आशा है कि विद्वज्जन इसको प्रेम-दृष्टि से देख कर अपनावेंगे । इसके प्रकाशन का श्रेय उक्त ट्रैक्ट सोसायटी को ही है । इसके लिये हम उस के अनुगृहीत हैं | "" विशेष अनुग्रह हम पं० महावीर प्रसाद जी द्विवेदी का मानते हैं । जिनकी " प्राचीन पंडित और कवि नानी पुस्तक से हमने बहुत बड़ी सहायता ली है । यदि विद्वान और गुण- प्राही सज्जन इसे सप्रेम अपनायेंगे तो पुनः शीघ्र ही सेवा में उपस्थित होने की चेष्टा करूंगा । विनयावनतकन्हैयालाल जैन | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir } For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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