________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
[१५]
(४३)
जिस से स्पष्ट सूरि जी को था बारह दिन के हित फरमान फ्रेर एक सप्ताह हेतु जय चन्द्र सूरि को हुआ मदान । जो जड़ हीर विजय सूरीश्वर ने यों सुखद जमाई थी, उस पर चन्द्र विजयजी ने अति दृढ़तर भित्ति बनाईथी ॥
*
www.kobatirth.org
( ४४ )
अकबर से श्री हीर विजय ने " जगगुरु की पदवी पाई, मुनि ने शान्तिचन्द्र को रखकर उपाध्याय अति सुखदाई ।
युग - वसु-शर- शशि इसा में कर दिया फतहपुर से प्रस्थान, अन्य देश में जाकर करना उन्हें इष्ट था पर कल्याण ॥ ( ४५ )
सो प्रयाग में जाकर मुनिवर ने कुछ दिन तक किया निवास, और वहां से गये आगरे फैलाया जा धर्म विकास । फिर लौटे गुजरात मातृभू थी मुनिवर की यही अतीत, किन्तु मार्ग में चार महीने किये सिरोही मध्य व्यतीत ॥
* जगद् गुरु ।
*
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१२८४ ।
For Private And Personal Use Only