Book Title: Heervijay Suri Jivan Vruttant
Author(s): Kanhaiyalal Jain
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥श्री॥ बाली (मारवाड़) में ओसवाल ज्ञातीय श्रीयुत् गुलाबचंद जी ने मिती मार्गशीर्ष वदी ३ को बड़े वैराग्यभाव से गृहस्थपन को छोड़ कर मुनिमहाराज श्रीमद् वल्लभविजय जी के शिष्य श्री मुनि विद्याविजय जी के पास संसाररूपी समुद्र से तारने वाली दीक्षा धारण की है। आपका नाम श्री मुनि उपेन्द्रविजय जी रक्खा गया । उस समय आपने ५० रुपये यहां की श्री श्रात्मानंद जैन सोसायटी को दान दिये हैं। इस लिये सोसायटी की तरफ से आपको बहुत २ धन्यवाद दिया जाता है। आप का दास सैक्रेटरी। For Private And Personal Use Only

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