Book Title: Heervijay Suri Jivan Vruttant
Author(s): Kanhaiyalal Jain
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [१४] (४०) सभी धर्म मत वालोंका है हृदय दुखाना उचित नहीं मुस्लिम धर्म ग्रंथ से मिलती हिंसा देखो कहीं नहीं । उच्चात्मा और खुदा सभी होते हैं इस से सदा प्रसन्न । पावन कर्म यही है, इससे हृदय नहीं उनका अवसन्न । (४१) इस कारण पशु पक्षी हत्या को बारह दिन बंद किया, पर्युषण में जीव न मरने पावें यह आदेश दिया। लिखी सनद यह गई सभी इसको मानें स्वीकार करें, यही यत्न करने के अपने उरमें सब जन भाव भरें ।। (४२) कोई मनुज न कष्ठ उठावे करता अपनी धर्म क्रिया धर्म कर्म हों अभय सभी के इसी हेतु फरमान दिया ।। इस फरमान-प्रमाण हेतु पाठक है एक और फरमान, श्री जयचन्द्र सूरि की विनती से जो हुआ उन्हें या दान ।। For Private And Personal Use Only

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